कहते हैं लोग बुद्धों अरिहंतो का देश है! -कमलेश मौर्य मृदु

सीतापुर (बिसवां) राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय मंत्री जनपद के विख्यात कवि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु की अध्यक्षता में लखनऊ का ऐतिहासिक घोंघा बसंत कवि सम्मेलन संपन्न हुआ। 
रवीन्द्रालय चारबाग में आयोजित यह आयोजन गत 64 वर्ष से रंग भारती संस्था द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इसके संस्थापक श्यामकुमार ने ममता कुलकर्णी के वेश में उपस्थित होकर उपस्थित जनसमूह का स्वागत किया। मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस ऐतिहासिक आयोजन की सराहना करते हुए सभी कवियों का माल्यार्पण कर उन्हें सम्मानित किया। 
इस अवसर पर कानपुर के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व्यंग्यकार डा सुरेश अवस्थी को बेढब बनारसी रंग भारती सम्मान व अयोध्या के ताराचंद तन्हा को सूंड़ फैजाबादी स्मृति सम्मान से मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन का सफल संचालन डा अरविंद झा ने किया। 

साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु ने अपने धुंआधार अध्यक्षीय काव्यपाठ में श्रोताओं को जमकर हंसाया व जमकर तालियां बटोरीं। 
वर्तमान संदर्भों पर पढ़ी गईं उनकी समसामयिक रचनाएं खूब सराही गईं।
  • पत्नी ने कहा बैठी मिलन की उमीद से।
  • होली पर नहीं आये तो आओगे ईद पे।
  • पति बोला आ रहा हूं किन्तु डर रहा हूं मैं ,
  • रक्खा तो नहीं तुमने नीला ड्रम खरीद के।।
उन्होंने घोंघा बसंत सम्मेलन पर चुटकी लेते हुए कहा 
  • कहते हैं लोग बुद्धों अरिहंतो का देश है।
  • कुछ लोग कहते संतों महंतों का देश है।
  • पर आके यहां हमको है 'मृदु' यह पता चला,
  • भारत ये अपना घोंघा बसंतों का देश है।।
श्री मृदु ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए कहा 
  • हिंदुत्व की आन-बान शान स्वाभिमान लिये इसी बात का नजर आता परिणाम है।
  • योगी बाबा आम के बगीचे के बगल से निकल जायें भगवा हो जाता हरा आम है।
अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ के समापन पर उन्होंने भारतीय नववर्ष की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा 
  • नव वर्ष में हर्ष मिले सबको इस राष्ट्र को कीर्ति अपार मिले।
  • जिन्हें राष्ट्र की अस्मिता से नहीं प्यार उन्हें तगड़ी फटकार मिले।
  • अयोध्या की तरह मथुरा और काशी अटाला पे भी अधिकार मिले।
  • अपनी इस सनातन संस्कृति की" मृदु" विश्व में जय-जयकार मिले।।
अर्धरात्रि तक चलने वाले इस कार्यक्रम में इसके अतिरिक्त  डा सुरेश अवस्थी, ताराचंद तन्हा , अरविंद झा, विनोद कलहंस, राज बनारसी, संदीप अनुरागी, जमुना प्रसाद अबोध, अमित अनपढ़ व निर्भय निश्छल ने काव्यपाठ कर सभी को हंसते हंसते लोटपोट कर दिया। प्रारंभिक संचालन करते हुए राजेन्द्र विश्वकर्मा ने सभी कवियों व अतिथियों का परिचय कराया।

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