आखिर, कब तक और भ्रष्टाचार का यह खेल चलता रहेगा?
आखिर, कब तक जनता परेशान होगी और भ्रष्टाचार का यह खेल चलता रहेगा?
अब समय है कि उच्च अधिकारी नींद से जागें और चालान से लेकर अवैध स्टैंड हटाने तक, हर स्तर पर प्रभावी कदम उठाएं।
डग्गामार वाहनों का बढ़ता साम्राज्य: मिर्जापुर में प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार का खेल
प्रयागराज के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने अपने कार्यालय में आयोजित एक बैठक में डग्गामार वाहनों के खिलाफ सतत अभियान चलाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। यह कदम जाम की समस्या से निजात दिलाने और आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए उठाया गया है। लेकिन मिर्जापुर जनपद में ऐसी पहल क्यों नहीं दिखाई देती? आखिर कौन जिम्मेदार है कि मिर्जापुर में डग्गामार वाहनों का साम्राज्य बेरोकटोक पनप रहा है, और प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?
यह स्थिति न केवल प्रशासनिक नाकामी को उजागर करती है, बल्कि भ्रष्टाचार के गहरे जाल की ओर भी इशारा करती है।
डग्गामार वाहनों की समस्या और प्रशासन की चुप्पी
मिर्जापुर जनपद में डग्गामार वाहनों का संचालन एक लाइलाज बीमारी बन चुका है। पक्का पुल, विंध्याचल शीतला मंदिर, पावर ह तालाब के पास, रीवा रोड, काली मंदिर, कमिश्नर ऑफिस, विकास भवन, पथरिया, संगमोहाल, पोस्ट ऑफिस, जेल के पास, रेलवे स्टेशन, रोडवेज, कचहरी, घोड़े शहीद, पीली कोठी, पेट्रोल टंकी, भरूहना, बिश्नोई कॉलेज, मुकेरी बाजार, शास्त्री ब्रिज, नटवा, विंध्याचल मंदिर परिसर, शिवपुर, कालीखोह, जिगना, गैपुरा, लालगंज, हलिया, मड़िहान, राजगढ़, पड़री, चुनार, कैलाश नारायणपुर, अहरौरा, सक्सेशन ड्राइविंग, बरौधा, दुबार, और जाह्नवी होटल जैसे क्षेत्रों में अवैध स्टैंड संचालित हो रहे हैं।
ये स्टैंड यातायात को अवरुद्ध करते हैं, जाम की स्थिति पैदा करते हैं, और नगरपालिका व राज्य के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके बावजूद, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ), यातायात पुलिस, और रेलवे प्रशासन कार्रवाई करने में संकोच क्यों कर रहे हैं? खास तौर पर मिर्जापुर रेलवे स्टेशन ओवरब्रिज के पास और स्टेशन की जमीन पर अवैध स्टैंड का संचालन चिंताजनक है। स्टेशन अधीक्षक, आरपीएफ प्रभारी, और आरटीओ की उदासीनता के कारण रेलवे को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ओवरड्यू बसों की भरमार और सरकारी रोडवेज अधिकारियों की कथित मिलीभगत से भ्रष्टाचार खुलेआम फल-फूल रहा है।
कार्रवाई का अभाव और भ्रष्टाचार का संदेह
प्रयागराज में जिलाधिकारी ने मार्च से अप्रैल तक अवैध स्टैंड और डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश दिया था, लेकिन मिर्जापुर में ऐसी कोई पहल नजर नहीं आती। न तो कोई रिपोर्ट मांगी गई, न ही अधिकारियों ने अब तक की कार्रवाई का ब्योरा दिया। क्या डग्गामार बसों को सीज किया गया? क्या जुर्माना वसूला गया? इन सवालों का जवाब ढूंढे नहीं मिलता। सूत्रों के मुताबिक, आरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार इस समस्या की जड़ है। आरोप हैं कि कुछ अधिकारी डग्गामार वाहन संचालकों से मोटी रकम लेकर उनकी अनदेखी करते हैं। हालात तब और गंभीर हो जाते हैं, जब पीटीओ जैसे अधिकारी एसी गाड़ियों में बैठकर मोटरसाइकिलों का चालान काटते हैं, लेकिन ओवरलोडेड डग्गामार वाहनों को छूते तक नहीं।
आम जनता की परेशानी और राजस्व का नुकसान
डग्गामार वाहनों के कारण मिर्जापुर में जाम अब रोजमर्रा की समस्या बन गया है। ये वाहन परमिट शर्तों का उल्लंघन करते हुए सवारियों को ठूंस-ठूंस कर ले जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। फिर भी, प्रशासन मौन है। क्या यह महज उदासीनता है या भ्रष्टाचार में संलिप्तता? यह सवाल जनता के मन में बार-बार कौंध रहा है। अवैध स्टैंड और डग्गामार वाहनों से नगरपालिका, राज्य सरकार, और रेलवे को हर साल लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। मिर्जापुर रेलवे स्टेशन के पास चल रहे अवैध स्टैंड इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जहां रेलवे प्रशासन की निष्क्रियता साफ दिखती है।
समाधान की राह
मिर्जापुर में इस समस्या से निपटने के लिए उच्च अधिकारियों को गंभीरता दिखानी होगी। आरटीओ, यातायात पुलिस, और रेलवे प्रशासन को संयुक्त अभियान चलाकर अवैध स्टैंड हटाने और डग्गामार वाहनों का चालान करने का सख्त निर्देश दिया जाए। नियमित रिपोर्ट मांगकर कार्रवाई की प्रगति पर नजर रखी जाए। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शी जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है। आम जनता को राहत और राजस्व की रक्षा तभी संभव है, जब प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाए।
निष्कर्ष
मिर्जापुर में डग्गामार वाहनों का बढ़ता साम्राज्य प्रशासनिक नाकामी और भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है। जब तक उच्च अधिकारी अपनी नींद से नहीं जागते और ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक न जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा, न ही राजस्व का नुकसान रुकेगा। मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से लेकर रोडवेज तक फैले इस भ्रष्टाचार के जाल को तोड़ने का वक्त आ गया है। प्रशासन को चाहिए कि वह जागे, कार्रवाई करे, और जनता के हित में काम करे। आखिर, कब तक जनता होगी परेशान।
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