.. इस देश भक्ति के बदले उसे क्या मिला?

सम्मान से पेट नहीं भरता..?
आईये आज और एक "छिपे हुये कोहिनूर" की दास्तान और एक सड़ी हुई व्यवस्था, 
मरी हुई कौम, गलीच, 
स्वार्थी और भ्रष्टाचारी लोगों की वजह से एक जिंदगी कैसे बर्बाद हो रही है।
दास्ताँ पढिए...

जबसे मैंने मुंबई की "देविका रोटवान" के बारे में पढ़ा है। तबसे सिस्टम और उसके हरामी नौकरशाही से नफरत दस गुना बढ़ गयी है...

देविका रोटवांन वही लड़की है..
जिसकी गवाही पर “कसाब” को फांसी हुई थी...

आइये आज इनकी दर्दनाक कहानी... 

आपको बता दें की “देविका” मुंबई हमलों के दौरान महज 9 साल की थी... उसने अपनी आँखों से कसाब को गोली चलाते देखा था...

लेकिन जब उसे सरकारी गवाह बनाया गया तो उसे पाकिस्तान से धमकी भरे फोन कॉल आने लगे, देविका की जगह अगर कोई और होता तो वो गवाही नहीं देता। 

लेकिन इस बहादुर लड़की ने ना सिर्फ कसाब के खिलाफ गवाही दी बल्कि सीना तान के बिना किसी सुरक्षा के मुंबई हमले के बाद भी 5 साल तक अपनी उसी झुग्गी झोपड़ी में रही।

लेकिन इस देश भक्ति के बदले उसे क्या मिला?
लोगों ने साथ तक नही दिया।

आपको बता दें कि “देविका रोटवान” जब सरकारी गवाह बनने को राजी हो गयी तो उसके बाद उसे उसके स्कूल से निकाल दिया गया।

क्योंकि स्कूल प्रशासन का कहना था कि आपकी लड़की को आतंकियों से धमकी मिलती है। जिससे हमारे दूसरे स्टूडेंट्स को भी जान का खतरा पैदा हो सकता है। 

देविका के रिश्तेदारों ने उससे दूरी बना ली, क्योंकि उन्हें पाकिस्तानी आतंकियों से डर लगता था जो लगातर देविका को धमकी देते थे।

“देविका” को सरकारी सम्मान जरुर मिला। उसे हर उस समारोह में बुलाया जाता था जहाँ मुंबई हमले के वीरों और शहीदों को सम्मानित किया जाता था।

..लेकिन देविका बताती है कि सम्मान से पेट नहीं भरता।

मकान मालिक उन्हें तंग करता है उसे लगता है की सरकार ने देविका के परिवार को सम्मान के तौर पे करोडो रूपये दिए हैं।

जबकि असलियत ये हैं की “देविका” को अपनी देशभक्ति की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी है।

“देविका” का परिवार देविका का नाम अपने घर में होने वाली किसी शादी के कार्ड पे नहीं लिखाता, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे वर पक्ष शादी उनके घर में नहीं करेगा। क्योंकि देविका आतंकियों के निशाने पे है। 

“देविका” के परिवार ने अपनी आर्थिक तंगी की बात कई बार राज्य सरकार और पीएमओ तक भी पहुचाई लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात निकला।

देविका की माँ 2006 में ही गुजर गयी थी। 

“देविका” के घर में आप जायेंगे तो उसके साथ कई नेताओं ने फोटो खिचवाई है। कई मैडल रखे हैं..!

लेकिन इन सब से पेट नहीं चलता।

“देविका” बताती है कि उसके रिश्तेदारों को लगता है कि हमें सरकार से करोडो रूपये इनाम मिले है। लेकिन असल स्थिति ये हैं की दो रोटी के लिए भी उनका परिवार तरसता है।

आतंकियों से दुश्मनी के नाम पर देविका के परिवार से उसके आस पास के लोग और उसकी कई दोस्तों ने उससे दूरी बना ली, कि कहीं आतंकी “देविका” के साथ साथ उन्हें भी ना मार डाले। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और डीएम ऑफिस के कई चक्कर लगाने के बाद उधर से जवाब मिला कि हमारे जिम्मे एक ही काम नहीं है।

देविका के पिता बताते हैं की उन्होंने अधिकारीयों से कहा की मुख्यमंत्री साहब ने मदद करने की बात कही थी। सरकारी बाबू का कहना है कि लिखित में लिखवा के लाइए, तब आगे कार्यवाही के लिए भेजा जाएगा। 

अब आप बताइये की क्या ऐसे देश, ऐसे समाज, और ऐसी ही भ्रष्ट सरकारी मशीनरी के लिए देविका ने पैर में गोली खायी थी...?

उसे क्या जरूरत थी सरकारी गवाह बनने की?
उसे स्कुल से निकाल दिया गया?

..क्योंकि उसने एक आतंकी के खिलाफ गवाही दी थी।

ऐसे खुदगर्ज समाज, सरकार, और नेताओं के लिए अपनी जान दाव पे लगाने की कोई जरूरत नहीं है। 

देविका तुमने बिना मतलब ही अपनी जिन्दगी नरक बना ली, सलमान खान, संजय दत्त, और  सन्नी लियोन के ऊपर बायोपिक बनाने वाला बॉलीवुड तो देविका के मामले में महा घटिया निकला...!! 

आपको बता दें की देविका का इंटरव्यू लेने के लिए बॉलीवुड निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने देविका को अपने घर बुलाया लेकिन उसे आर्थिक मदद देना तो दूर उसे ऑटो के किराए के पैसे तक नहीं दिए।
ऐसा संवेदन हीन है अपना समाज...!! 
थूकता हूँ मै ऐसे समाज पर...!! 

शायद कितनो को तो देविका के बारे पता भी नहीं होगा की “देविका रोटवान” कौन है!!!

अपने सभी मित्रो एवं परजनो को इस बहादुर बच्ची से अवगत कराए, लाइक  और शेयर कर बेटी को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाओ.

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