बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विधिक साक्षरता कार्यक्रम का हुआ आयोजन
Vashishth Maurya
देवरिया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देवरिया के तत्वावधान में जिला पंचायत देवरिया के सभागार में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विधिक साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
भगवान बुद्ध के बताये हुए अष्टांगिक मार्ग पर चलकर मनुष्य सम्यक और संतुलित जीवनयापन करने में सक्षम हो सकता है। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने वहां उपस्थित आम जनमानस का सम्बोधित करते हुए कहा कि बुद्ध का दर्शन मानववाद का दर्शन है जो आज भी प्रासंगिक है।
मनुष्य को चाहिए कि प्रत्येक मनुष्य का सहायता करे, भारतीय संविधान में नागरिको के मौलिक कर्तव्य में यह लेख है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39ए समाज के वंचित और कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की वकालत करता है और समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है, जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) का मुख्य कार्य समाज के कमजोर और गरीब वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना है। यह लोगों को कानूनी जागरूकता पैदा करने, कानूनी सलाह देने, और अदालती कार्यवाही में प्रतिनिधित्व करने जैसे कार्यों में मदद करता है।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगड़ी देवरिया में आयोजन हुआ जिसमें कुशवाहा समाज के लोग बड़ चढ़ कर हिस्सा लिया और महिलाओं ने भी अपना कीमती समय बुद्ध पूर्णिमा को दिया जिसमे अशोक सिंह कुशवाहा राजेंद्र मौर्या सुनैना सिंह कुशवाहा धनंजय कुशवाहा प्रेम कुशवाहा सम्राट एम एल बौद्ध सभा सद नगर पंचायत तरकुलवा विवेक कुशवाह हरेकृष्णा उपेंद्र मृत्युंजय भगत वशिष्ठ मौर्या कृष्णमोहन गेनू भाई शंभू शरण कुशवाहा अशोक सिंह सदानंद सैकड़ो की संख्या में महिला व पुरुष उपस्थित रहे
- बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पंचशील धम्मध्वज दिखाकर शोभा यात्रा को किया गया रवाना
- भगवान बुद्ध के सिद्धांत और उनके जीवन की घटनाएं हमें शांति व ज्ञान की ओर अग्रसर करती हैं
बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में त्रिविध पावनी (जन्म, ज्ञान प्राप्ति बोध एवं महापरिनिर्वाण) वैशाख पूर्णिमा बुद्ध जयंती (बुद्ध पूर्णिमा) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर सम्मिलित हुए तथा पंचशील धम्मध्वज दिखाकर शोभा यात्रा को रवाना किया गया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भगवान बुद्ध के सिद्धांत और उनके जीवन की घटनाएं हमें शांति व ज्ञान की ओर अग्रसर करती हैं। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।
बैसाख पूर्णिमा को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन कुशीनगर में ईसा पूर्व 483 में 80 वर्ष की आयु में महापरिनिर्वाण हुआ था। तीनों घटनाएं वैशाख पूर्णिमा को हुई थीं। इसलिए इसे त्रिविध पावनी जयंती भी कहते हैं। भगवान बुद्ध को कुशीनगर से गहरा लगाव भी रहा।
इस अवसर पर म्यानमार के राजदूत ऊ जाव, भदंत ज्ञानेश्वर, भंते डॉ नंद रतन थेरो, भंते महेंद्र थेरो, भंते अशोक, पूर्व विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी, पर्यटन सूचना अधिकारी प्राण रंजन, नगर निकाय कुशीनगर अध्यक्ष प्रतिनिधि एवम भिक्षु गण व उपासक, जनपदवासी भी उपस्थित रहे।
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