उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित त्रैमासिक प्रस्तुतिपरक ड्रामा कोर्स शुरू
40 छात्र छात्राओं के साथ शुरू हुआ त्रैमासिक उर्दू ड्रामा सर्टिफिकेट कोर्स के चौथे बैच के कार्यशाला का सफर, उर्दू नाटक तुग़लक़ के मंचन के साथ होगा समापन।
शौकत अली, सचिव उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने कहा कि उर्दू ज़बान एक बेहतरीन और मीठी ज़बान है जिनमे नुक्तों का ख़ास महत्व होता है।
ऐसे में जब किसी कलाकार द्वारा नुक्तों का ग़लत तरीको से प्रयोग कर दिया जाता है तो लगता है चाशनी में रेत मिला दी गयी हो। ऐसे में नाटक देखने का सारा मज़ा किरकिरा हो जाता है। इसलिए इस कार्यशाला में उर्दू ज़बान के आलिम फ़ाज़िल उस्तादों द्वारा उर्दू डिक्शन पर विशेष रूप से काम किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित त्रैमासिक प्रस्तुतिपरक ड्रामा कोर्स आज से शुरू हो गया।
जानकारी देते हुए इस कार्यक्रम की कोऑर्डिनेटर डॉ सीमा मोदी ( कोऑर्डिनेटर मीडिया (सेंटर) ने कहा कि तीन महीने तक चलने वाले इस कोर्स में उत्तर प्रदेश के कई जिलों से विभिन्न क्षेत्रो से लोगो ने रजिस्ट्रेशन कराया जिनका ऑडिशन द्वारा सेलेक्शन किया गया।
रजिस्ट्रेशन शुल्क मात्र एक हज़ार rs था। चालीस पार्टिसिपेंट्स के साथ इस कोर्स की शुरुआत की गई।
डॉ सीमा मोदी ने बताया कि इस कार्यशाला में रंगमंच से जुड़े विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है जो कार्यशाला में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
उर्दू पढ़ाने के लिए उस्ताद होंगे। गिरीश कर्नाड जी का लिखा मशहूर उर्दू नाटक तुग़लक़ के मंचन के साथ इस कार्यशाला का समापन होगा।
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