बंद फर्म के नाम पर लाखों का भुगतान?

  • सरकारी विभागों को गुमराह कर प्राप्त की गई धनराशि.. जीएसटी भी नहीं किया जमा..
  • साझेदार पर गंभीर आरोप..
अयोध्या। एक बंद विद्युत ठेकेदारी फर्म के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान प्राप्त करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। फर्म के एक पूर्व साझेदार श्री सुशील कुमार दूबे पर आरोप है कि उन्होंने विभागों को गुमराह कर वर्षों तक कार्य किया और फर्म के नाम पर भुगतान प्राप्त कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुँचाया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘प्रकाश इलेक्ट्रिकल्स, मलिकपुर डाभासेमर फैजाबाद अयोध्या’ नामक फर्म वर्ष 2015 में हृदय राम मौर्य एवं सुशील कुमार दूबे के संयुक्त साझेदारी में गठित की गई थी। यह फर्म वर्ष 2018 में विद्युत सुरक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदत्त ‘क’ श्रेणी लाइसेंस (संख्या: थर््क्.180) तथा वर्ष 2019 में जीएसटी संख्या 09।।व्थ्च्6261र्म्1ल् के निरस्तीकरण के साथ औपचारिक रूप से बंद हो चुकी थी।

शिकायतकर्ता हृदय राम मौर्य द्वारा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश को भेजे गए पत्र के अनुसार, फर्म बंद होने के बावजूद श्री दूबे द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21, 2022-23 एवं 2023-24 में लोक निर्माण विभाग (विद्युत अनुरक्षण खंड-2) लखनऊ तथा लखनऊ विकास प्राधिकरण से फर्म के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान प्राप्त किया गया।

चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान न तो जीएसटी का भुगतान किया गया और न ही फर्म के निरस्त होने की जानकारी संबंधित विभागों को दी गई। 

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि श्री दूबे ने क्षेत्राधिकारी अयोध्या को दिये गये बयान में फर्म की बंदी की जानकारी से स्वयं को अनभिज्ञ बताया, जबकि रिकॉर्ड में उनके हस्ताक्षरयुक्त निरस्तीकरण आवेदन पत्र दिनांक 04 जून 2018 मौजूद है।

शिकायतकर्ता द्वारा यह भी बताया गया कि श्री दूबे ने अपनी नई निजी फर्म का नाम भी 'प्रकाश इलेक्ट्रिकल्स' ही रखा है, जिससे विभागों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो और उन्हें निविदाओं में आसानी हो सके।

उक्त प्रकरण में बैंक स्टेटमेंट, जीएसटी पोर्टल से प्राप्त भुगतान विवरण तथा अन्य प्रमाण राज्य आयोग को प्रस्तुत किए गए हैं। 

अब यह जांच का विषय है कि बंद फर्म के नाम पर भुगतान किन अधिकारियों/कर्मचारियों के आदेश पर किया गया और इस पूरे प्रकरण में किस स्तर तक लापरवाही या मिलीभगत रही है।

आयोग से मांग की गई है कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

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