एक सच्चे मित्र का मानक है!
- जो आपकी योग्यता को समझता हो.
- आपकी भावनाओं एवं प्रतिभा की कद्र करता हो.
- आपकी सोच व आपकी आंखों को पढ़ना जानता हो. आपकी सच्चाई एवं ईमानदारी को समझता हो.
- आपको खोने से डरता हो.
- आपके लिए दूसरों से लड़ता हो.
- आपकी दिल से प्रशंसा करता हो.
- आपकी पूरी परवाह करता हो.
- आपसे पूरा अपनत्व जताता हो.
- आपसे अपना सबकुछ बताता हो.
- आपसे कुछ भी ना छुपाता हो.
- ..और आपके साथ बिना किसी लालच के..
- खुल के रहता हो.
हेमन्त कुशवाहा
....निःसंदेह यही एक सच्चे मित्र का मानक है जो मित्रता की परिभाषा एवं श्रेणी में आता है इसके विपरीत अगर आपके पास कुछ है तो वो सब जान-पहचान के लोग हैं।
जो यकीनन दोहरी चाल के नकाबधारी लोग होते हैं जो बाहर से कुछ और भीतर से कुछ और होते हैं लेकिन आश्चर्य यह है फिर भी हम उनके साथ रहते हैं जानते हो क्यूँ ....
क्यूँ कि आप ऐसे लोगों के साथ रहकर कोई ना कोई अपना काम निकाल रहे होते हैं व अपने स्वार्थ को पूरा कर रहे होते हैं जिनको लोग प्रायः मित्र समझने की एक बड़ी भूल करते हैं।
इसलिए इसके अंतर को जानने के लिए ये हमेशा याद रखें कि 'सच्ची मित्रता' बाहरी लोगों के उकसावे से कभी ना तो विचलित होती है ना संक्रमित होती है और ना ही दूषित होती है जबकि 'जान-पहचान' हल्की हवाओं के झोंकों से भी विचलित, संक्रमित व दूषित हो जाती है..।
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