कैमूर जिले के मठ मोरिया में अशोक का अभिलेख!
बेहद गर्मी थी ... सुजाता के गाँव से बराबर की पहाड़ियों पर जाना था ... बराबर की पहाड़ियों पर अशोक की बनवाई हुईं गुफाएँ हैं।
रास्ते की जानकारी ली ... पता चला कि गया के मोरिया घाट से बेला जाना होगा ... बेला सुनकर उरूबेला जैसे गाँव याद आए ... मोरिया घाट से गुजरते हुए मठ मोरिया की याद आई ... कैमूर जिले के मठ मोरिया में अशोक का अभिलेख है ...अशोक ने यहाँ एक रात गुजारी थी ... जानें क्यों इतिहासकार मौर्य कहते हैं ...जनता के लिए वह मोरिय था।
आश्चर्य नहीं कि गया का मोरिया घाट अशोक के नाम पर पड़ा होगा ... अशोक के बौद्ध गया जाने के प्रमाण हैं।
अशोक के समय में बराबर की पहाड़ी जवान रही होगी ... अभी बिल्कुल बूढ़ी और जर्जर है ... सीढ़ियों से चढ़कर गुफाओं के पास पहुँचा ... गुफाएँ ग्रेनाइट की बनी हुईं भीतर से एकदम चिकनी और चमकदार थीं।
लिपियों को देखा ...हैरत हुई कि अनेक लिपियाँ अभी अनपढ़ी हैं ... एक लिपि ऊपर से नीचे की ओर लिखी गई थी... दूसरी शंखाकृति में शंख लिपि थी ... ये लिपियाँ सिंधु घाटी की भाँति पढ़ी नहीं जा सकी हैं।
आँखें उस मूर्ति को तलाश रही थीं जिसमें गौतम बुद्ध माँ की गोद में हैं ... सीढ़ियों से उतरते दाहिने किनारे एक पेड़ के नीचे वह मूर्ति दिखाई पड़ी ...संगमरमर की बनी ... बिल्कुल उपेक्षित!
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