संवैधानिक अधिकारों के बावजूद अपने पदों पर काम नहीं कर रही महिलाएं?

lekhram maurya
लखनऊ। जहां एक ओर वर्तमान सरकार द्वारा महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है जबकि उन्हें आरक्षण कब मिलेगा इसका कोई समय निर्धारित नहीं है। दूसरी ओर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी महिलाओं को 50 फ़ीसदी पदों पर आरक्षण दिए जाने की बात कर रही है। अब देखना है कि जनता किसके घोषणा पत्र और किसके बनाए कानून पर भरोसा करती है ।
संविधान के 73 में संशोधन के जरिए राजीव गांधी की सरकार ने महिलाओं को पंचायतों में 33 फ़ीसदी आरक्षण का अधिकार काफी पहले दे दिया था उसी संशोधन के बाद पंचायतों में लगातार महिलाएं सभी पदों पर चुनाव जीतकर आ रही हैं परंतु ऐसी महिलाओं में से एक दो फ़ीसदी महिलाएं ही स्वयं अपने अधिकार का प्रयोग कर रही हैं बाकी उनके पति पुत्र और परिवार के अन्य सदस्य सभी जगह महिलाओं के अधिकारों पर अतिक्रमण कर रहे हैं। राजधानी की ही बात करें तो प्रधान पद के कुल 491 पदों में से 234 महिलाएं चुनाव जीत कर प्रधान बनी थी जिनमें से करीब 90 महिलाएं ऐसी भी हैं जो हाई स्कूल से परास्नातक तक योग्यता रखती हैं बावजूद इसके वह अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर पा रही हैं। लखनऊ जिले में प्रधान पद पर चयनित महिलाओं में से चार महिलाएं परास्नातक तक योग्यता रखती हैं। इसी क्रम में जिले में 22 महिलाएं स्नातक और 24 महिलाएं इंटर एवं 16 महिलाएं हाई स्कूल तक शिक्षित हैं जबकि कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो इससे नीचे की योग्यता रखती हैं जिनका मैं यहां उल्लेख नहीं कर रहा हूं क्योंकि हाई स्कूल से ऊपर की महिलाएं या पुरुष किसी भी सरकारी ऑफिस में कार्य करने की योग्यता रखते हैं। यही नहीं जिले में दो विकासखंड ऐसे हैं जिनमें  काकोरी में प्रधान पद पर चयनित 25 महिलाओं में से 12 ने अपनी योग्यता ही नहीं बताई है सरोजिनी नगर विकासखंड में 9 और चिनहट ब्लॉक में तीन महिलाओं ने अपनी शैक्षिक योग्यता नहीं बताई है इसलिए इन आंकड़ों में उनका उल्लेख नहीं है। 
अगर आंकड़ों की बात की जाए तो विकासखंड मलिहाबाद में सबसे अधिक योग्यता रखने वाली महिलाओं की संख्या 14 है। दूसरे स्थान पर विकासखंड बीकेटी है जबकि तीसरे स्थान पर मोहनलालगंज आता है और तीसरे स्थान पर विकासखंड गोसाईंगंज है। 
ग्राम प्रधानों की शिक्षा के मामले में शहर से जुड़े हुए विकास खंडों की स्थिति सबसे खराब है जबकि शहर से दूर के विकास खंडों की स्थिति इस मामले में बहुत अच्छी है क्योंकि विकासखंड मलिहाबाद में 2 महिलाएं परास्नातक,4 स्नातक 7 इंटर तथा एक हाई स्कूल पास है। विकासखंड बक्शी का तालाब में एक परास्नातक, 6 स्नातक 3=3 इंटर, हाई स्कूल है इसी क्रम में गोसाईगंज विकासखंड में पांच स्नातक 4 इंटर 6 हाई स्कूल हैं जबकि मोहनलालगंज में एक परास्नातक चार स्नातक 6 इंटर दो हाई स्कूल पास हैं, विकासखंड चिनहट में 8 महिलाओं में से एक हाई स्कूल तथा तीन ने कोई विवरण नहीं दिया है। विकासखंड काकोरी की 25 महिलाओं में से 12 ने अपनी योग्यता नहीं बताई है जबकि 13 महिलाओं की योग्यता शून्य है या फिर हाई स्कूल से नीचे है। विकासखंड मॉल में तीन महिलाएं स्नातक हैं जिनमें से दो महिलाएं अपने अधिकार का स्वयं प्रयोग कर रही हैं जिनमें अटारी की संयोगिता सिंह और बसंतपुर की ममता देवी ही स्वयं अपना काम करती हैं। 
बाकी सभी महिलाओं के पति ,पुत्र और अन्य लोग ही महिलाओं के अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि अधिकार मिल जाने से कर्तव्य पूरा नहीं होता है। इसलिए अधिकारों के साथ कर्तव्यों के लिए जागरूक होना जरूरी है।

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