हवा हवाई साबित हुई आम से पल्प बनाने की घोषणा?

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग न लगने से फल पट्टी क्षेत्र के किसान पके आम को लेकर परेशान
  • होटल एंड रेस्टोरेंट संगठन के साथ एफपीओ की बैठक
लेखराम मौर्य
लखनऊ। पिछले 5 महीने से राजधानी सहित लखनऊ मंडल के आम फल पट्टी वाले चार जिलों में लगातार उद्यान, कृषि, मंडी परिषद के अधिकारियों सहित जिला प्रशासन के अधिकारी इस प्रयास में आयुक्त लखनऊ मंडल के निर्देशानुसार बैठकर करते रहे कि इस बार आम का निर्यात बढ़ाने के अलावा घरेलू बाजार में भी आम का अच्छा मूल्य मिल सके परंतु आज आम के बाजार की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इतनी मेहनत के बावजूद नतीजा ढाक के तीन पात रहा क्योंकि इस समय जहां एक ओर कच्चे आम के दाम गिरे हुए हैं वहीं पके आम की स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है। 
जून माह के पहले हफ्ते में जिस तरह आम की बाजार शुरू हुई थी यदि वही स्थिति रहती तो किसान इतना परेशान न होता परंतु 5 जून के बाद बाजार इतनी गिर गई कि अब सुधार की संभावनाएं काफी कम हो गई हैं और जब आम ही नहीं बचेगा तो बाजार सुधरने का क्या मतलब। बीती 30 मई को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा ने एक मीटिंग का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने लखनऊ मंडल की आयुक्त डॉ रोशन जैकब के सामने केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा के वैज्ञानिकों ने कुछ प्राइवेट पार्टनर्स के साथ मिलकर खाद्य प्रसंस्करण विभाग के सहयोग से पके और बेकार आम से पल्प निकालने के लिए फैक्ट्री लगाने की बात की थी परंतु उस बैठक में की गई घोषणा हवा हवाई साबित हुई और किसानों का आम एक बार फिर मिट्टी के भाव बाजार में बिक रहा है जिससे किसानों के आम की लागत आना भी अब मुश्किल हो जाएगा। 
अवध आम उत्पादक बागवानी  समिति के महासचिव उपेंद्र सिंह ने कहा कि इस बार यह घोषणा हवा हवाई होकर रह गई है क्योंकि कुछ कानूनी पहलुओं की वजह से इस बार पल्प की फैक्ट्री लगाना संभव नहीं है। यह हाल तब है जब पिछले कई वर्षों से जब भी आम की फसल अच्छी होती है तो आम का भाव गिरने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। 
आम को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की खाद्य प्रसंस्करण नीति जिस तरह से फेल होती नजर आ रही है उससे तो यही लगता है कि सरकार ने दूसरे प्रदेशों की आम को लेकर अपनाई जा रही खाद्य प्रसंस्करण नीति से कोई सबक नहीं लिया और जो संस्थान आम उत्पादन के समय बड़े-बड़े दावे करते हैं वह लोग साल भर कहां सोते रहते हैं यह सबसे बड़ा सवाल है। इसके अलावा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा फल पट्टी क्षेत्र के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है क्योंकि अब वैज्ञानिक किसानों के हित में काम कम कर रहे हैं और हर तरह से व्यापार अधिक करना चाहते हैं जिससे उन्हें ऊपरी आमदनी अधिक हो। आम के गिरते भाव को लेकर सोमवार को राजधानी के विकासखंड माल में भारतीय किसान यूनियन लोकतांत्रिक के नेताओं ने सांकेतिक विरोध दर्ज कराते हुए सड़क पर आम बिखेर दिए। इसके अलावा उत्कृष्ट फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, तफारी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी और भूपति एफ पी सी के निदेशकों ने पुणे की मार्केट में विक्रय हेतु आम भेजा जहां आम खराब होने के साथ ही बाजार भी गिरी हुई बताई जा रही है जिससे किसानों को लाभ होने की कोई संभावना नहीं दिखाई पड़ रही है। 
एक बार फिर लखनऊ मंडल की आयुक्त डॉ रोशन जैकब और लखनऊ मंडल के उपनिदेशक उद्यान डॉक्टर डीके वर्मा एवं मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद कृष्ण मोहन चौधरी के प्रयास से होटल रामाडा लखनऊ में होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के साथ मिलकर दशहरी आम को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने के उद्देश्य से सभी के सहयोग की अपेक्षा करते हुए उनसे अपने-अपने संस्थानों में कैनेपी लगाने एवं अन्य किसी भी प्रकार से किसानों की आमदनी बढ़ाने में हर संभव मदद करने की बात कही। कार्यशाला को संबोधित करते हुए आयुक्त ने कहा कि जिस तरह से अल्फांसो और केसर आम को दुनिया भर में जाना जाता है इस तरह से आप सब के सहयोग से दशहरी को भी इंटरनेशनल ब्रांड बनाया जा सकता है। 

इसके लिए सभी प्रकार के प्रयास किया जा रहे हैं जिसमें इस वर्ष भले ही हम सफल नहीं हुए हैं लेकिन अगले साल तक हम इतना प्रयास करें कि समय पर किसानों को लाभ मिलने के साथ ही देश और विदेश में दशहरी को पहुंचाया जा सके जिससे दशहरी की पहचान बढ़ सके। इससे पूर्व उपनिदेशक उद्यान लखनऊ मंडल डीके वर्मा ने कहा कि प्रीमियम मार्केट में दशहरी की पहचान नहीं हो पाई है जबकि अल्फांसो और केसर को प्रीमियम मार्केट मिल चुकी है हमें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्पादन करके दशहरी को भी प्रीमियम मार्केट में लाना है इसके लिए सभी जिम्मेदार संस्थाओं को प्रयास करना चाहिए। 

इस मौके पर प्रदर्शन हेतु लखनऊ जिले की 18 फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों को आमंत्रित किया गया था जिनमें से कई संस्थाओं ने अच्छी क्वालिटी का दशहरी आम होटल मैनेजमेंट एवं संगठन के सामने प्रस्तुत किया था। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अजय जैन सहित फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां के निदेशक एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

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