नगर निगम की घोर लापरवाही उजागर?
- क्या यह भ्रष्टाचार की एक और मिसाल है?
- कौन लेगा इस बर्बादी की जिम्मेदारी?
- क्या होगी लखनऊ नगर निगम की अगली कार्रवाई?
शिवांश पाण्डेय
लखनऊ: नगर निगम की केंद्रीय कार्यशाला में भारी लापरवाही का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार करीब 1 साल पहले खरीदे गए पंप, जिनकी कीमत लाखों में है, अब तक उपयोग में नहीं लाए गए।
ये पंप खुले आसमान के नीचे पड़े-पड़े जंग खा रहे हैं और कबाड़ बनने की कगार पर पहुंच चुके हैं।
इन पंपों की न तो कोई निगरानी हो रही है और न ही किसी अधिकारी ने इनकी स्थिति पर ध्यान दिया है। बारिश, धूप और धूल के बीच बिना किसी कवर या सुरक्षा के इन मशीनों को यूं ही छोड़ देना, नगर निगम की प्रशासनिक उदासीनता और जनधन की बर्बादी को दर्शाता है।
स्थानीय कर्मचारियों और सूत्रों का कहना है कि इन पंपों को लाने के बाद न तो इनकी टेस्टिंग हुई, न इंस्टॉलेशन, और अब तक कोई कार्य योजना भी नहीं बनी कि इन्हें कहां और कैसे उपयोग किया जाएगा।
प्रश्न उठता है कि जब इन पंपों का कोई इस्तेमाल नहीं होना था, तो इन्हें क्यों खरीदा गया? क्या यह किसी बड़े घोटाले का हिस्सा है? क्या इन पंपों की खरीद सिर्फ बिल पास कराने और कमीशन खाने के लिए की गई थी?
जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदे गए ये पंप अब कबाड़ हो रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं। जरूरत है कि नगर आयुक्त इस मामले में तत्काल जांच कराएं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें।
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