मिलाकर आंख दुनिया से ये भारत बात करता है -मृदु
- करता नहीं है मात्र कारोबार संगठन।
- करता है अपने देश से भी प्यार संगठन।
- रखता भी है सामाजिक सरोकार संगठन।
- उत्तर प्रदेश उद्योग व व्यापार संगठन।।
श्री मृदु ने हास्य श्रृंगार व ओजस्वी कविताओं से समां बांध दिया। भारत के गौरव को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा..
- मिलाकर आंख दुनिया से ये भारत बात करता है।
- पटखनी पर पटखनी दे जो इससे घात करता है।
- बुलेट एके सैंतालीस की कभी आयात करता था,
- कि अब भारत वही ब्रह्मोस का निर्यात करता है।।
बरेली के वरिष्ठ गीतकार कमल सक्सेना ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि..
- मुनासिब है यही कि तू वतन से प्यार मत करना।
- मगर बे आबरू इस देश को ए यार मत करना।
- किसी बच्चे के मुहुँ से छीन ले रोटी का जो टुकड़ा,
- वतन के वास्ते ऐसा कोई व्यापार मत करना।
इसके बाद श्रृंगार के कई मुक्तक सुनाकर सबकी वाह वाही लूटी। अपनी कविता पढ़ते हुए कमल सक्सेना ने कहा कि..
- मिटेंगी हस्तियाँ तेरी अमन तब याद आयेगा।
- मिलेंगी ठोकरें अपना वतन तब याद आयेगा।
- विदेशी रँग में पढ़कर तेरी बेटी जवाँ होगी,
- तुझे इस देश का चालो चलन तब याद आयेगा।।
ओज कवि कमलकांत तिवारी ने अपनी रचना इस तरह पढ़ी..
- पुरानी भूल का करके यह पश्चाताप बैठे हैं।
- चढ़ाकर बाण धनुवा पर खींचकर चाप बैठे हैं।
- नहीं अब भूल कर हिंदुत्व को आंँखें दिखाना तुम.
- सुनो भारत की सत्ता में तुम्हारे बाप बैठे हैं।
जिस पर सभी ने दिल खोलकर तालियां बजाईं। कवि सम्मलेन देर रात तक चलता रहा औऱ व्यापार मंडल के सभी पदाधिकारी व सदस्य देर रात तक कविताओं का आनंद लेते रहे। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने कवियों को अंग वस्त्र ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
कवि सम्मेलन का संचालन कवि गीतकार कमल सक्सेना ने किया। इसके बाद व्यापारी नेताओ ने केक काटकर कुलभूषण शर्मा का जन्म दिन बड़े हर्ष के साथ मनया।
अंत में महाचिव ने सभी का आभार प्रकट करते हुए सभी को भोजन के लिये आमंत्रित किया।
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